Breaking
17 Jul 2025, Thu

Mahakumbh 2025 Akhada: कैसे और क्यों किया गया अखाड़ों का निर्माण?

Mahakumbh 2025

भारतीय सनातन धर्म के वर्तमान रूप की नींव आदिगुरू शंकराचार्य ने रखी थी। शंकर का जन्म 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व में हुआ था, जब भारतीय जनमानस की स्थिति और दिशा बहुत अच्छी नहीं थी। भारत की संपत्ति के आकर्षण से अनेक आक्रमणकारी यहाँ आ रहे थे। कुछ आक्रमणकारी भारत के खजाने को लेकर वापस चले गए, तो कुछ भारत की दिव्यता से इतने प्रभावित हुए कि यहीं बस गए। कुल मिलाकर, सामान्य शांति और व्यवस्था में विघ्न था। ईश्वर, धर्म, और धर्मशास्त्रों को तर्क, शस्त्र और शास्त्रों से चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था।

ऐसे समय में, शंकराचार्य ने सनातन धर्म की स्थापना के लिए कई कदम उठाए, जिनमें से एक था देश के चार कोनों पर चार पीठों का निर्माण करना। ये थे गोवर्धन पीठ, शारदा पीठ, द्वारिका पीठ और ज्योतिर्मठ पीठ। इसके अलावा, आदिगुरू ने मठों और मंदिरों की संपत्ति लूटने वालों और श्रद्धालुओं को सताने वालों का मुकाबला करने के लिए सनातन धर्म के विभिन्न संप्रदायों की सशस्त्र शाखाओं के रूप में अखाड़ों की स्थापना की शुरुआत की।https://www.abplive.com/

आदिगुरू शंकराचार्य को यह महसूस होने लगा था कि उस सामाजिक उथल-पुथल के युग में केवल आध्यात्मिक शक्ति से इन चुनौतियों का सामना करना पर्याप्त नहीं है। उन्होंने यह बल दिया कि युवा साधु अपने शरीर को मजबूत बनाने के लिए व्यायाम करें और हथियार चलाने में भी दक्षता हासिल करें। इसलिए ऐसे मठ बने, जहां इस प्रकार के व्यायाम या शस्त्र संचालन का अभ्यास कराया जाता था, और ऐसे मठों को अखाड़ा कहा जाने लगा। आम बोलचाल की भाषा में भी अखाड़े उन स्थानों को कहा जाता है जहां पहलवान कसरत के दांवपेंच सीखते हैं। समय के साथ कई और अखाड़े अस्तित्व में आए।

शंकराचार्य ने अखाड़ों को यह सलाह दी कि मठों, मंदिरों और श्रद्धालुओं की रक्षा के लिए यदि आवश्यकता हो, तो शक्ति का प्रयोग करें। इस प्रकार बाहरी आक्रमणों के उस दौर में इन अखाड़ों ने सुरक्षा कवच का काम किया। कई बार स्थानीय राजा-महाराज विदेशी आक्रमण के समय नागा योद्धा साधुओं की मदद लिया करते थे। इतिहास में ऐसे कई गौरवमयी युद्धों का उल्लेख मिलता है, जिनमें 40,000 से अधिक नागा योद्धाओं ने भाग लिया। अहमद शाह अब्दाली द्वारा मथुरा-वृन्दावन के बाद गोकुल पर आक्रमण के समय, नागा साधुओं ने उसकी सेना का सामना कर गोकुल की रक्षा की।

भारत की आजादी के बाद, इन अखाड़ों ने अपना सैन्य चरित्र छोड़ दिया। इन अखाड़ों के प्रमुखों ने जोर दिया कि उनके अनुयायी भारतीय संस्कृति और दर्शन के सनातनी मूल्यों का अध्ययन और पालन करते हुए संयमित जीवन जीएं। इस समय 13 प्रमुख अखाड़े हैं, जिनमें प्रत्येक के शीर्ष पर महंत आसीन होते हैं। इन प्रमुख अखाड़ों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है।http://trekkerstrifle.in

1. श्री निरंजनी अखाड़ा

यह अखाड़ा 826 ईस्वी में गुजरात के मांडवी में स्थापित हुआ था। इनके ईष्ट देव भगवान शंकर के पुत्र कार्तिकस्वामी हैं। इसमें दिगम्बर, साधु, महंत और महामंडलेश्वर होते हैं। इसकी शाखाएं प्रयागराज, उज्जैन, हरिद्वार, त्र्यंबकेश्वर और उदयपुर में हैं।

2. श्री जूनादत्त या जूना अखाड़ा

यह अखाड़ा 1145 में उत्तराखंड के कर्णप्रयाग में स्थापित हुआ। इसे भैरव अखाड़ा भी कहते हैं। इनके ईष्ट देव रुद्रावतार दत्तात्रेय हैं। इसका केंद्र वाराणसी के हनुमान घाट पर माना जाता है। हरिद्वार में मायादेवी मंदिर के पास इनका आश्रम है। इस अखाड़े के नागा साधु जब शाही स्नान के लिए संगम की ओर बढ़ते हैं, तो मेले में आए श्रद्धालुओं समेत पूरी दुनिया की निगाहें उस अद्भुत दृश्य को देखने के लिए रुक जाती हैं।

3. श्री महानिर्वाण अखाड़ा

यह अखाड़ा 671 ईस्वी में स्थापित हुआ था, कुछ लोग इसे बिहार-झारखंड के बैजनाथ धाम से उत्पन्न मानते हैं, जबकि कुछ इसका जन्म स्थान हरिद्वार के नील धारा के पास मानते हैं। इनके ईष्ट देव कपिल महामुनि हैं। इस अखाड़े की शाखाएं इलाहाबाद, हरिद्वार, उज्जैन, त्र्यंबकेश्वर, ओंकारेश्वर और कनखल में हैं। इतिहास में 1260 में महंत भगवानंद गिरी के नेतृत्व में 22,000 नागा साधुओं ने कनखल स्थित मंदिर को आक्रमणकारियों से छुड़ाया था। उज्जैन स्थित महाकाल ज्योतिर्लिंग पर नित्य प्रति इस अखाड़े के पुरी नामा नागा साधु भस्म चढ़ाते हैं।

4. श्री अटल अखाड़ा

यह अखाड़ा 569 ईस्वी में गोंडवाना क्षेत्र में स्थापित हुआ। इनके ईष्ट देव भगवान गणेश हैं। यह सबसे प्राचीन अखाड़ों में से एक माना जाता है। इसकी मुख्य पीठ पाटन में है, लेकिन आश्रम कनखल, हरिद्वार, इलाहाबाद, उज्जैन और त्र्यंबकेश्वर में भी हैं।

5. श्री आह्वान अखाड़ा

यह अखाड़ा 646 में स्थापित हुआ और 1603 में पुनर्संयोजित किया गया। इनके ईष्ट देव श्री दत्तात्रेय और श्री गजानन हैं। इस अखाड़े का केंद्र स्थान काशी है। इसका आश्रम ऋषिकेश में भी है। स्वामी अनूपगिरी और उमराव गिरी इस अखाड़े के प्रमुख संतों में से हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *