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Hindenburg का ये था असली खेल, हिंडनबर्ग रिसर्च की दुकान में लगा ताला!

अमेरिकी शार्ट सेलर Hindenburg रिसर्च अब बंद हो चुका है. कंपनी के फाउंडर नेट एंडरसन ने इसी घोषणा की है. ये वहीं हिंडनबर्ग रिसर्च है जिसने अडानी समूह के खिलाफ जनवरी 2023 में रिसर्च रिपोर्ट जारी किया था जिसके बाद अडानी समूह के शेयरों में तेज गिरावट देखने को मिली थी. https://www.aajtak.in/business/news/story/hindenburg-short-selling-game-and-why-nate-anderson-disbanding-firm-now-know-how-it-earn-money-tutc-dskc-2144379-2025-01-16

Hindenburg रिसर्च के मुखिया ने क्यों लिया ये फैसला? 

नेट एंडरसन ने अपने बयान में कहा, मैंने पिछले साल के अंत से परिवार, दोस्तों और हमारी टीम के साथ साझा किया था कि मैंने हिंडनबर्ग रिसर्च को भंग करने का निर्णय लिया है. एंडरसन ने कहा, इंवेस्टिगेटिव आईडिया की अपनी पाइपलाइन को पूरा करने के बाद कंपनी को बंद करने का विचार था. हिंडनबर्ग रिसर्च ने हाल ही में पोंजी स्कीमों से जुड़े अपनी अंतिम प्रोजेक्ट्स को पूरा किया था जिसके साथ उसकी गतिविधि पर विराम लग गया है.

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अडानी समूह पर फ्रॉड का लगाया था आरोप 

अमेरिका के Hindenburg  रिसर्च एलएलसी (Hindenburg Research LLC) ने जनवरी 2023 में अडानी समूह के स्टॉक में शार्ट सेलिंग करते में दावा किया था अडानी समूह के स्टॉक्स अपनी उचित वैल्यूएशन से 85 फीसदी महंगा है. हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपने रिपोर्ट में समूह पर मार्केट मैनिपुलेशन और अकाउंटिंग फ्रॉड का भी आरोप लगाया था. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अडानी समूह के शेयरों में बड़ी गिरावट देखने को मिली थी. इसके बाद अडानी समूह के शेयरों का मार्केट कैप 10 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा गिर चुका था. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अडानी इंटरप्राइजेज का 20000 करोड़ रुपये का फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) रद्द करना पड़ा था. http://trekkerstrifle.in

अडानी समूह ने आरोपों का किया था खंडन

Hindenburg Research की रिपोर्ट पर अडानी समूह ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि हम हिंडनबर्ग रिसर्च की छपी रिपोर्ट से हैरान हैं क्योंकि उन्होंने हमसे बिना संपर्क किए या फिर सही तथ्यों को वेरिफाई किए बगैर ये रिपोर्ट पब्लिश किया है. अडानी समूह ने कहा कि ये रिपोर्ट चुनिंदा गलत सूचनाओं और बासी, निराधार और बदनाम करने वाले आरोपों का एक दुर्भावनापूर्ण मिश्रण है जिसे भारत के उच्चतम न्यायालयों में परखा गया है और उसे कोर्ट द्वारा खारिज किया जा चुका है. अडानी समूह ने रिपोर्ट की टाइमिंग पर भी सवाल उठाए थे.

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