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Edible Oil Prices : विदेशी बाजारों में गिरावट से सरसों, मूंगफली और सोयाबीन तेल के दाम टूटे,

विदेशी बाजारों में गिरावट आने के बीच बुधवार को अधिकांश तेल-तिलहनों के दाम टूट गये। सरसों तेल-तिलहन, मूंगफली तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल की कीमतों में नरमी आई। मूंगफली तेल, सोयाबीन तिलहन और बिनौला तेल के भाव पूर्ववत बने रहे। बाजार सूत्रों ने कहा कि शिकागो और मलेशिया एक्सचेंज में गिरावट है। कल रात भी शिकागो एक्सचेंज में गिरावट आई थी। बाजार सूत्रों ने कहा कि अधिकांश तेल की थोक कीमतों में गिरावट जरूर आई है पर इनके खुदरा दाम अभी भी ऊंचे ही हैं। उपभोक्ताओं को इस महंगाई से राहत प्रदान करने के लिए इसके कारणों की पड़ताल कर सख्त कदम उठाने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि विदेशों में गिरावट और आगामी फसल की आहट के बीच सरसों तेल-तिलहन के थोक दाम टूटते दिखे।https://www.newsnationtv.com/

बिनौला सीड के दाम घटे

सूत्रों ने कहा कि भारतीय कपास निगम (सीसीआई) ने आज एक बार फिर कपास नरमा से निकलने वाले बिनौला सीड का दाम 50-100 रुपये क्विंटल घटाया जिससे विशेष तौर पर मूंगफली सहित बाकी तेल-तिलहन भी प्रभावित हुए। कपास का उत्पादन निरंतर कम हो रहा है तथा अभी तक आधे से अधिक कपास नरमा बाजार में आ चुका है। अगली फसल आने में अभी आठ महीने बाकी हैं, जिसे देखते हुए बिनौला सीड की मांग आगे बढ़ने के पूरे आसार हैं। इस स्थिति को देखते हुए सीसीआई को बिनौला सीड का भंडारण कर उचित मूल्य मिलने के समय बेचना चाहिये। सस्ते में बिकवाली करने से पूरे तेल-तिलहन बाजार की कारोबारी धारणा प्रभावित होती है। उन्होंने कहा कि बिनौला सीड का दाम घटाने का सीधा असर मूंगफली तिलहन पर हुआ जिसके दाम गिरावट के साथ बंद हुए। मूंगफली में 60-62 प्रतिशत खल निकलता है और बिनौला खल का दाम टूटने के कारण पहले से खपने की दिक्कत झेलने वाले मूंगफली खल का बिकना और मुश्किल हो गया है।

Edible Oil Prices

सोयाबीन तेल का दाम गिरा

मूंगफली तिलहन का दाम टूटने के बीच मूंगफली तेल के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे। सूत्रों ने कहा कि विदेशों में बाजार टूटने और आयातकों के पास धन की दिक्कत के कारण आयात की लागत से कम दाम पर बिकवाली करने से सोयाबीन तेल के दाम में भी गिरावट दर्ज हुई। जबकि पहले से नीचे दाम पर बिक रहे सोयाबीन तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे। इस तिलहन की आवक घटकर लगभग दो लाख बोरी रह गई है। उन्होंने कहा कि मलेशिया के टूटने और मौजूदा ऊंचे दाम पर लिवालों की कमी के कारण पाम, पामोलीन के दाम भी हानि दर्शाते बंद हुए। जाड़े के मौसम और मौजूदा ऊंचे दाम के कारण पाम, पामोलीन का लिवाल मिलना मुश्किल ही है।http://trekkerstrifle.in

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